मातम फैला देश में जो है ये कैसे अब जाएगा
भ्रष्ट और अत्याचारी को फांसी कौन चढ़ाएगा
पग-पग पर जाकर देखो जो छाया घना अन्धेरा है
इस अंधियारे से भारत को मुक्ति कौन दिलाएगा
भ्रष्टाचारी अत्याचारी आ जाओगे हथकंडे में
खैर मनाओ तब तब जब तक देश फंसा है पंजे में
अमन हमारा चमन बनेगा वो दिन जल्दी आयेगा
मची गंदगी है जब उसमे लाल कमल खिल जायेगा
पंजे ने हैं खंजर भोके बहुत मातु के सीने में
बहुत बिताएं हैं दिन माँ ने घुट-घुट घुटकर जीने में
कांग्रेस का हाथ नहीं ये तब आम हाथ कहलायेगा
पकड़ उँगलियों से जब माँ के कमल चरण चढ़ जाएगा
दीपक कुमार मिश्र “प्रियांश”
सुन्दर प्रस्तुति-
शुभकामनायें आदरणीय-
bahut badiya sir........
ReplyDeleteu proved once again exellent
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