Saturday, May 10, 2014

बहक जाते हैं






















कुछ  चीज  दूर  से  देखन  में  भली  होती  है
आग छूता है वहीँ जिसकी अंगुली न जली होती है
भटक जाता है  मुसाफिर  उस  गली  में  अक्सर
जो   उसके    लिए   अनजान  गली   होती है

लोग   अक्सर  बहक  जाते  हैं  उन  बहारों  में
जिन  बहारों  में  हजारों  ही  कली   होती   हैं
भ्रमर  अक्सर  ही  बहकते  हैं  उन्हीं कलियों पर
चमन गुलजार  में  जो  अधखिली  सी  होती  हैं

महक  का  जाल  चमन  फेका  जब फिजाओं में
हो मद में मस्त चमन  में  ही  उलझे  जाते  हैं
प्यार  का  जाल  बुना  है  गजब  शिकारी   ने
उलझ एक बार  जो  गया  तो  उलझे  जाते  हैं

                        दीपक कुमार मिश्र प्रियांश

Friday, March 7, 2014

नारी महत्ता

महिला दिवस पर कुछ लिखना चाहता था डायरी-कलम लिए बैठा था पर कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा था  कि क्या लिखूं | काफी देर सोचने के बाद पहली पंक्ति दिमाग में आ गयी इसके बाद क्या कलम को जबरदस्ती बंद करना पड़ा.......................



नारी  के  हजार  रूप   विद्यमान  चहुँ  ओर
नारी इस समाज की तो एक  मूल  इकाई  हैं
नारी के सम्मान में जो शीश ना झुका सका है
मूल्य  बस  उसका  तो  मात्र  एक  पाई  है

पैदा होते रानी बनी  ब्याह  होत   लक्ष्मी  वो
घर में जो काम  करी  तब  वो  बनी बाई है
कौन   कहता  है  रानी  लक्ष्मीबाई  है  नहीं
जितनी  भी  नारी  हैं  वो  सब लक्ष्मीबाई हैं

नन्द घर यशुदा  खिलाय  पालना  में  कृष्ण
अद्भुत   वात्सल्य  दृश्य  को  दिखाई   हैं
जब  मजबूर  हुई  रौद्र  रूप  दिखावन  को
तब  दुर्गा  काली  का  ये  रूप  धर आई हैं

चूर  अभिमान  उसका  हुआ  है इस धरा पे
जिसने  भी  आँख  नारी  जाति पर उठाई है
चूर  अभिमान  सारा  हो गया था रावण का
नारी  अपमान  की  तो ये भी इक गवाही है

विनती  है   इनका  न  हास-उपहास   करो
पूजन  से  इनके  ही  जग  की  भलाई  है
नारियों को पूजा गया है जहाँ भी इस जहाँ में
अपनी  दुनिया  देवता  ने वहीँ पर  बसाई है 
                         

                    दीपक कुमार मिश्र प्रियांश"

धोपाप धाम आरती




धोपाप धाम गोमती के तट पर स्थित एक घाट है जहाँ राम भगवान को स्नान करने से रावण की ह्त्या के पापों से मुक्ति मिली थी | यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस पावन धाम पर आरती लिखने का अवसर मिला | कुछ ही दिन में आपके बीच में आरती के ऑडियो और वीडिओ माँ मुक्ता फिल्म एसोसिएशन द्वारा प्रस्तुत की जायेगी |
जय श्री राम............... 


पावन धोपाप धाम , जहाँ पाप धोये राम
गोमती निशदिन पांव पखारती , कल कल ध्वनि करके आरती उतारती


तट धोपाप धाम जाकर जिसने भी डुबकी लगाया
जीवन के सारे पापों से तुरत ही मुक्ति पाया
महिमा ऋषि मुनि ने बखानी , पाप काटे यहाँ पानी
गोमती निशदिन पांव पखारती , कल कल ध्वनि करके आरती उतारती


ब्रम्ह्हत्या के पाप का डर जब श्री राम को सताया
तब विश्वामित्र गुरु ने गोमती में श्याम काग तैराया
पाप मिटेगा वहाँ पर , काग होगा श्वेत जहाँ पर
गोमती निशदिन पांव पखारती , कल कल ध्वनि करके आरती उतारती


है धोपाप धाम पावन जो आरती इसकी उतारे
हर अक्षम्य पापों से उसका जीवन तुरत उबारे
राम मुक्ति यहाँ पाए , ऐसा ऋषि मुनि यहाँ गाये
गोमती निशदिन पांव पखारती , कल कल ध्वनि करके आरती उतारती


                                    दीपक कुमार मिश्र प्रियांश
 

Sunday, March 2, 2014

मंदिर मस्जिद पर पहरे हैं
















देखो हम कहाँ से चल करके
किस दौर में आकर ठहरें हैं
खुशहाली सारी चली गयी
मंदिर मस्जिद पर पहरे हैं

ये बस्ती बनी बहेलियों की
सब ताक लगाए बैठे हैं
फ़रियाद करोगे किससे तुम
सब अपने गुरुर में ऐठे हैं

अब खडी अदालत की मूरत
रो रो कर सहमी जाती है
जब फांसी कतली ना पाए
और लुटी गरीब की थाती है

कहने को है ये प्रजातंत्र
पर तानाशाही का कोहरा है
जिस शासन को है जिम्मेदारी
वो शासन बिलकुल बहरा है

            दीपक कुमार मिश्र प्रियांश