Friday, March 7, 2014

नारी महत्ता

महिला दिवस पर कुछ लिखना चाहता था डायरी-कलम लिए बैठा था पर कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा था  कि क्या लिखूं | काफी देर सोचने के बाद पहली पंक्ति दिमाग में आ गयी इसके बाद क्या कलम को जबरदस्ती बंद करना पड़ा.......................



नारी  के  हजार  रूप   विद्यमान  चहुँ  ओर
नारी इस समाज की तो एक  मूल  इकाई  हैं
नारी के सम्मान में जो शीश ना झुका सका है
मूल्य  बस  उसका  तो  मात्र  एक  पाई  है

पैदा होते रानी बनी  ब्याह  होत   लक्ष्मी  वो
घर में जो काम  करी  तब  वो  बनी बाई है
कौन   कहता  है  रानी  लक्ष्मीबाई  है  नहीं
जितनी  भी  नारी  हैं  वो  सब लक्ष्मीबाई हैं

नन्द घर यशुदा  खिलाय  पालना  में  कृष्ण
अद्भुत   वात्सल्य  दृश्य  को  दिखाई   हैं
जब  मजबूर  हुई  रौद्र  रूप  दिखावन  को
तब  दुर्गा  काली  का  ये  रूप  धर आई हैं

चूर  अभिमान  उसका  हुआ  है इस धरा पे
जिसने  भी  आँख  नारी  जाति पर उठाई है
चूर  अभिमान  सारा  हो गया था रावण का
नारी  अपमान  की  तो ये भी इक गवाही है

विनती  है   इनका  न  हास-उपहास   करो
पूजन  से  इनके  ही  जग  की  भलाई  है
नारियों को पूजा गया है जहाँ भी इस जहाँ में
अपनी  दुनिया  देवता  ने वहीँ पर  बसाई है 
                         

                    दीपक कुमार मिश्र प्रियांश"

3 comments:

  1. नारियों को पूजा गया है जहाँ भी इस जहाँ में
    अपनी दुनिया देवता ने वहीँ पर बसाई है

    IS BAAT KE LIYE NARIYAA BHI SACHET RHE. RACHNA ACHHI HAI

    ReplyDelete
  2. नारियों को पूजा गया है जहाँ भी इस जहाँ में
    अपनी दुनिया देवता ने वहीँ पर बसाई है

    महिला दिवस पर प्रेरक पंक्तियाँ..

    ReplyDelete
  3. उत्कृष्ट ....मन को ऊर्जा देते भाव...

    ReplyDelete