Wednesday, November 21, 2012

कसाब को एकाएक फांसी के पीछे कहीं कोई काला सच तो नहीं है ?


( यह मेरे अपने व्यक्तिगत विचार है किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए अगर है तो उनसे क्षमा प्रार्थी हूँ )
       
     २६/११ के हमले के दोषी अजमल कसाब को आज लगभग ४ साल बाद एकाएक फांसी की सजा सुनकर मन को तो बहुत सुकून मिला | फांसी दी गयी इस बात से पूरे हिन्दुस्तान नहीं अपितु पूरे विश्व के लोग खुश हुए होंगे | पता नहीं क्यूँ हमे ऐसा लग रहा है कि इसके पीछे भी कोई राज छिपा हो सकता है | बिना किसी पूर्व जानकारी के एकाएक ऐसा होना मेरे शक का कारण है |

       अभी कुछ दिन पहले ही हमारी मीडिया की ही खबर थी की जो काम हिन्दुस्तान की सरकार पिछले तीन चार सालों में नहीं कर पायी है उसे हिन्दुस्तानी मच्छरों ने कर दिखाया है | इस काम के लिए मच्छरों का शुक्रिया अदा करता हूँ | वह काम यह था कि हिन्दुस्तान की सरकार आज तक अजमल कसाब की केवल मेहमान नवाजी की थी लेकिन मच्छरों ने जब उसकी मेहमान नवाजी की तो उस सुअर को डेंगू हो गया और मरने की कगार पर पहुँच गया था | अभी तो हम इस बात का इन्तजार कर रहे थी कि हमारी बिकाऊ मीडिया अभी हमे बताएगी की कितना उसके इलाज में खर्च हुआ लेकिन उससे पहले उसकी मौत की खबर आ गयी | ऐसे में हमारे दिल में बहुत से सवाल उठे हैं | उन सवालों से अवगत कराता हूँ ......
      
        कहीं सरकार ने यह तो नहीं किया कि उसकी मौत हुई हो डेंगू से और इसके बाद उसको फांसी की सजा दिखा रही हो | अगर ऐसा नहीं है तो सरकार के फैसले में पारदर्शिता क्यूँ नहीं थी ? अभी सुबह कुछ लोगों से बात चीत के दौरान यह पता चला कि कसाब को डेंगू हुआ है यह खबर मीडिया के द्वारा फैलाई हुई अफवाह है | मुझे तो पता नहीं क्यूँ ऐसा लगता है जब भी कहीं सरकार फंस जाती है तो वह उस खबर को मीडिया की अफवाह बताने के सिवाय कोई और चारा ही नहीं रहता है | 
दूसरी बात सरकार किन गद्दारो से डरकर चुपचाप कसाब को फांसी दे दी, अगर कसाब को चौराहे पर खडा करके मारा जाता तो यह आतंकवादियो के लिये सबक का काम करता. पहले उनको खिला पिला कर मोटा मुरगा बनाओ फिर चुपचाप फांसी देना समझ मे नही आया. 
तीसरी बात भारत की जनता और 26 नवम्बर 2008 के शहीदो के परिवार कैसे इस बात पर विश्वास करे कि कसाब को वाकई फांसी हुयी है कही ऐसा न हो कि ........ जैसे सद्दाम हुसैन के विडियो अमेरिका ने सार्वजनिक करके पूरे विश्व को सन्देश दिया था कि अमेरिका से टकराने का अंजाम क्या होता है भारत सरकार ने वैसा क्यो नही किया??

       दोस्त बात कुछ भी हो लेकिन कोई राज जरूर है इस एकायक फांसी के पीछे |जैसे सारी  करतूतें एक एक कर खुली है वैसे यह भी वक्त आने पर खुलेगी |

Thursday, November 1, 2012

यहीं जानता था

                         ना   ही   तुम्हे   कल   तो  मै  जानता  था 
                         ना  ही   तुम्हे   कल   मै   पहचानता   था 
                        मिले कब  थे कैसे और किस राह पर  हम
                         न  अब   जानता  हूँ  न  कल  जानता  था 

                        सूरत   तुम्हारी  थी   मन  को  मेरे  भायी
                        तेरी   अदाएं    थी     मन    को    लुभायी
                        पहली  नजर  में  हुआ   कायल  मै   तेरा 
                        यहीं    जानता    हूँ    यहीं    जानता   था 

                        खुदा  की  थी  मर्जी   सो  उसने  मिलाया 
                        मोहब्बत   में   तेरे   वो   जीना  सिखाया 
                        था किस्मत में  लिखा खुदा  ने तुम्ही को
                        यहीं    जानता    था    यहीं    जानता   हूँ