Thursday, September 27, 2012

याद कर रहे हैं ........

तनहाइयों    में    आज    तुझे    याद   कर रहे हैं
रब   से   तुम्हारे   खातिर  फ़रियाद  कर   रहे  हैं
कभी  याद ना  किया मै  खुद  के  लिए  खुदा  को
पर   आज   तेरे   खातिर   उसे   याद   कर रहे हैं

मासूम   सी   अदा   में   तेरी   उलझे  जा  रहे  हैं
मासूमियत   तेरी   हम   रब   से   बता   रहे   हैं
करूँ  शुक्रिया  अदा  मै   तेरी  भोली सी अदा को
तेरी  अदा  की  जद  में   रब   को   बुला   रहे  हैं

सूरत   को   तेरी   दिल   से   ना   भूल  पा रहे हैं
हर  कोशिशों  में   खुद  को  असमर्थ  पा   रहे  हैं
सूरत निकालो अपनी मेरे दिल के इस महल से
एहसान इतना करने  की  फ़रियाद  कर  रहे   हैं

Sunday, September 23, 2012

बात कुछ हो गयी


नजर  उनसे  जो मिली बात कुछ हो गयी
चैन  मेरा   गया  नीद  मेरी   खो  गयी

    नज़रों से उसने जादू  क्या किया
    दिल  मेरा  उसका पीछा  किया

चली  वो  चली  गयी  नीद  मेरी ले गयी
चैन   मेरा   गया  नीद  मेरी  खो  गयी

    मुस्कान उसकी जा दिल में धंसी
    दिल  मेरा  सोचा  अब वो फंसी

फिसल वो फिसल गयी याद अपनी दे गयी
चैन  मेरा  गया  नीद   मेरी   खो  गयी

    नज़रों से लगती थी जैसे परी 
    मुझको तो लगती थी जादूगरी

जादू टोना कर गयी दिल वो मेरा ले  गयी
चैन  मेरा  गया  नीद   मेरी   खो  गयी 

Tuesday, September 18, 2012

कब तक हम शांत हो

कब तक ऑंखें ही नाम  करके हम शांत हो
क्या  हमे  जीने   का   हक   नहीं   है   यहाँ
क्यूँ   नहीं   सुन   रहा   कोई   आवाज   को
बोलने   का   हक   हमे   क्या   नहीं है यहाँ

कल   पढ़ा   था  हर  कोई  यहाँ  आजाद  है
था  जहाँ  ये  लिखा  वो   संविधान  है कहाँ
बोलने की सजा  अब  तो  मौत  मिल  रही
न्यायदाता    धरा    से    गए    अब   कहाँ

दर्द   माँ   के    शहीदों   का   वो  जाने क्या
जिसने  गीदड    ही   पैदा   किये   है   यहाँ
लाल  अपना   जो   खोते   तो   वो  जानते
लाल   खोके     माँ   कैसे   है   ज़िंदा   यहाँ 

Wednesday, September 12, 2012

उसकी सूरत पर


     जिसके लिए लिखा है काश उसके पास तक पहुच जाए | वैसे ब्लॉग पर बहुत दिन बाद आ रहा हूँ आता तो नहीं लेकिन किसी की खूबसूरती का बखान करने से खुद को रोक नहीं पाया इसलिए आ गया हूँ और हाँ अगर वो नजर के सामने से गुजरती रहेगी तो आता रहूँगा | 




              
















तुम तो हो रूप की मलिका तुम्हे अब नाम मै क्या दूँ
ज़माना  जद  में  हैं  तेरे  तुम्हे  आराम  मै   क्या   दूँ  
लव से तेरे लिए अब तो मै कुछ भी कह नहीं  सकता  
तुम्हारे  चाँद  से  तन को  मै  उपमा  और   कैसी  दूँ

खुदा ने जिस घडी तेरे तन की  नक्कासी  करी होगी  
घड़ी  वो  इस  जहाँ  खातिर  बड़ी  ही  शुभ रही  होगी 
खुदा खुद खुश हुआ होगा  जहाँ  में तुझको ला करके  
सुंदरता  से  तेरे  उसको  जलन  अब  हो  रही   होगी

नजर  जब  से पडी  तुझ  पर हुआ है हाल  कुछ ऐसा  
नजर  जब  भी  जिधर  डालूँ  दिखे कोई तेरे ही जैसा
मेरी  तुम  इस  शरारत  को  शरारत  नाम  ना   देना
मचल   कोई    भी   जायेगा  तुम्हारा   रूप   है  ऐसा