Saturday, April 27, 2013

सीनियर्स आपके लिए ....

हंसी  पल   थे  वो  तेरे  संग  जो  गुजारे  हैं
बचे  पल  को  भी  यूँ  ही  हंस के ही गुजारेंगे
होगे   तुम  दूर  मगर  याद  तो  रह  जायेगी
तेरे   यादों   के   सहारे   ही   दिन  गुजारेंगे

तेरी  जब   प्यार   भरी   बोली  याद  आयेगी
दिल को  इक  मीठा  सा  वो दर्द देकर जायेगी
दिया तुमने है जो खुशियों  का खजाना अब तक
ख़ुशी  वो  दर्द  को  इस  फीका करती जायेगी

ये    है   दस्तूर खुदा का जमाने   के   लिए
जहाँ में जो  भी  आयेगा  वो  इक दिन जाएगा
बिछड़ रहे हैं गम  इस  बात  का ज़रा भी नहीं
बिछड़ के तुमसे कैसे  दिन  ये  जिया  जाएगा

कभी एहसास  हो  मेरी   कोई   जरूरत   तो
मान हक हम पर  तुम  आवाज मुझे दे   देना
ये है दावा  तेरी  आवाज   पर   मै   आऊंगा
यकीं न हो तो कभी  तू  भी   आजमा   लेना

कभी  जलता हुआ  दीपक  कोई  जब  देखोगे
ये है मेरा  यकीं   इक   बार   मुझे  सोचोगे
मुझे किरदार  पर   अपने   है  भरोसा  बहुत
अंधेरी    राह    में     मंजिल     हमी     से    खोजोगे  

Saturday, April 20, 2013

जन्म दिन मुबारक हो....

किसी ख़ास के जन्मदिवस पर उसके लिए मेरी कुछ दुआएं......





हो  मुबारक   मुबारक       मुबारक    तुम्हें

हो  मुबारक  तुम्हें आज कि शुभ घरी

तेरा खुशियों से  दामन  भरा  यूँ  रहे

इस  सुहानी  घडी  है  दुआ  ये  मेरी


गम  का  साया  तुझे छू सके ना कभी

तुझको खुशियां मिले हर कदम हर घडी

तेरे आँखों से  आँसू  न  निकले  कभी

इस  सुहानी  घडी  है  दुआ  ये  मेरी


ये खुदा उसकी आँखों  में  आँसू  न  दे

टूट  जाएगा  वो  एक  खता  से  तेरी

उसके हिस्से का  आसूं  तू  देना  मुझे

पर  न  देना  उसे  है  अरज  ये मेरी


साथ   तेरा  मुझे  जिंदगी  भर  मिले

है  यहीं  इक  दुआ  आज  तुमसे मेरी

गर जुदा तू  हुआ  तो  मै  ये  मानूंगा

रब ने लिखा न किस्मत में तुझको मेरी 

Monday, April 15, 2013

तेरे खातिर


















कभी   तनहाइयों   में   तेरी   बातें   सोच   हंस   देता
डसी तनहाइयाँ  हैं  जब  तो  तनहा  दिल  है  ये  रोता
मोहब्बत  के  सफर  में  थी  लिखी तनहाइयाँ ही जब
मोहब्बत   करना  तन्हाई  से  क्यूँ न  तू  सिखा  देता

तेरे  खातिर  ही  दुनिया  से  किया  मैंने  बगावत  था

किया तूने भी अब तनहा और दुनिया से तो पहले था
मेरे खोने के खातिर काफी  थी  तेरी  झील  सी  आँखें
हुई  क्यूँ  आज  वो  दरिया जो  कल मेरा समन्दर था

मै  सांसे  ले  नहीं  सकता  हूँ  तुमसे  दूर   रह   करके

काट पाऊ न इक भी क्षण  बगावत  तुमसे  मै  करके
ये  दुनिया  छोड़ने  का  फैसला  भी  ले  नहीं   सकता
कहीं तू ये न कह  दे  की  मरा  बदनाम  मुझे   करके 

Friday, April 12, 2013

नाम का सरदार मनमोहन




















न   तो   चीन   से   डरत्ता   हूँ   न   मै   पाक   से    डरता
जहाँ  की  कोई  ताकत  हो  किसी   से   मै   नही   डरता
मुझे डर  लगता  है  अब  दुनिया  में  बस  एक  इंसा  से
जो  है  सरदार  दिखता  पर   मुझे   सरदार   न   लगता

शहीदों   की   शहादत   की   ये   तो   कीमत   लगाते   हैं
अता  कीमत  बलि  की  कर   उन्हें   ये   भूल   जाते   हैं
लाल भेजोगे जिस दिन सरहद पर लड़ने को तुम अपना
समझ   में    आयेगा    तब   की   दर्द   कैसे   भुलाते   हैं

आजादी  देगा  वो   कैसे  जो   खुद   बंधक   बना   रहता
हाथ  होता  जो उसके कुछ तो खुद को आजाद वो करता
शक्ल  भोली  सी  लेकर  किया   है   काम   बस   इतना
नहीं  मरना  है  भारत  पर  सीखा  इटली  पर  है  मरना 

Wednesday, April 10, 2013

रुसवाई

















उम्र  रपता  तुम्हारे  बिन  अब  हम कैसे गुजारेंगे
भुलाना भी जो  चाहेंगे  तब  भी  ना  भूल पाएंगे
सजा  कैसी  दिया  तुमने  मुझे  मेरी वफाई का
रहें महफ़िल में या तनहा तुम्हें ही बस पुकारेंगे


सुमन  कोई  खिला  देखूं तो तुम ही याद आते हो
मेरी  यादों  में  आकर के बहुत हमको सताते हो
किया  रुसवा  जमाने ने हमे तुमसे तुम्हें हमसे
सही ना जाए रुसवाई  तुम्ही बस याद आते हो


चांदनी  रात  में  जब चाँद को हंसता हुआ देखूं
तुम्हारी याद आने से तो दिल को कैसे मै रोकूँ
समन्दर में उठी लहरें मुझे भरमा रहीं हैं अब
खडा मै हूँ किनारे पर मगर जल में तुझे देखूं