Tuesday, November 19, 2013

अमन हमारा चमन बनेगा





















मातम   फैला   देश   में  जो  है  ये  कैसे  अब  जाएगा
भ्रष्ट   और   अत्याचारी   को   फांसी   कौन   चढ़ाएगा
पग-पग  पर  जाकर  देखो  जो  छाया  घना अन्धेरा है
इस  अंधियारे  से  भारत  को  मुक्ति  कौन  दिलाएगा

भ्रष्टाचारी    अत्याचारी    आ    जाओगे    हथकंडे   में
खैर  मनाओ  तब  तब  जब  तक  देश फंसा है पंजे में
अमन हमारा चमन बनेगा  वो  दिन   जल्दी   आयेगा
मची  गंदगी  है  जब  उसमे लाल कमल खिल जायेगा

पंजे  ने  हैं   खंजर   भोके   बहुत   मातु   के   सीने   में
बहुत बिताएं हैं दिन माँ  ने  घुट-घुट  घुटकर  जीने  में
कांग्रेस  का  हाथ  नहीं  ये  तब  आम  हाथ कहलायेगा
पकड़ उँगलियों से जब माँ के कमल चरण चढ़ जाएगा   

                                 
                         दीपक कुमार मिश्र प्रियांश

Thursday, August 8, 2013

आशिकी तो कभी कर न सकते हैं वो

वो  तो  कहते   हैं  हमको  दीवाना  मगर
खुद दीवानों सी हरकत को  करते  हैं  वो
मुझपे   मरने    का  इल्जाम  झूठा लगा
खुद से ज्यादा तो मुझ पर ही मरते हैं वो

मुख  से  कहते  हैं  हमको मोहब्बत नहीं
लाख   अरमान  फिर  भी  सजाएँ  हैं  वो
है  वजह  क्या  समझ  में  ना  आती हमें
दिल की बातें जो दिल  में  छुपायें  हैं  वो

वो  बयां  क्यूँ  मोहब्बत  को  करते  नहीं
शर्म  किस  बात  की  आज  खाते  हैं  वो
डर   उन्हें   है   जमाने   का   जकडे   हुए
बस   यहीं   एक   उलझन   बताते  हैं वो

आशिकों   को   ज़माना    बकसता  नही
इसलिए   तो   जमाने    से   डरते  हैं  वो
डर ज़माने का है  जिनके  दिल में दीपक
आशिकी  तो  कभी  कर न  सकते  हैं  वो  

Thursday, August 1, 2013

चूर कर दिए सारे सपने
















मेरी किस्मत में मोहब्बत को ना लिखा रब ने
मेरी    उम्मीद   को  तो  तोड़  डाले   हैं   अपने 
जिनके इक हाँ पे मै  ऊचाईयां  छूने  था  चला
उसी   के  न  ने  चूर  कर   दिए   सारे    सपने 

उन्हें  भाता  था   खेलना   मेरा   जज्बातों  से 
फरक   पड़ता  नहीं  उनको  मेरी  हालातों  से 
हंसी चेहरे  पे   ले   के  दिन  तो काट   देता हूँ 
दर्दे दिल   को बयां करता हूँ  सिर्फ   रातों   से 

मेरी   आँखों   में   आंसू  ही  है  गर ख़ुशी तेरी
खुदा तुझसे है फिर  इक  आज  इबादत  मेरी
मेरी  आँखों   से    अश्रुपात    निरंतर   रखना
उसका   हसता   हुआ   चेहरा  ही है ख़ुशी मेरी.

Saturday, April 27, 2013

सीनियर्स आपके लिए ....

हंसी  पल   थे  वो  तेरे  संग  जो  गुजारे  हैं
बचे  पल  को  भी  यूँ  ही  हंस के ही गुजारेंगे
होगे   तुम  दूर  मगर  याद  तो  रह  जायेगी
तेरे   यादों   के   सहारे   ही   दिन  गुजारेंगे

तेरी  जब   प्यार   भरी   बोली  याद  आयेगी
दिल को  इक  मीठा  सा  वो दर्द देकर जायेगी
दिया तुमने है जो खुशियों  का खजाना अब तक
ख़ुशी  वो  दर्द  को  इस  फीका करती जायेगी

ये    है   दस्तूर खुदा का जमाने   के   लिए
जहाँ में जो  भी  आयेगा  वो  इक दिन जाएगा
बिछड़ रहे हैं गम  इस  बात  का ज़रा भी नहीं
बिछड़ के तुमसे कैसे  दिन  ये  जिया  जाएगा

कभी एहसास  हो  मेरी   कोई   जरूरत   तो
मान हक हम पर  तुम  आवाज मुझे दे   देना
ये है दावा  तेरी  आवाज   पर   मै   आऊंगा
यकीं न हो तो कभी  तू  भी   आजमा   लेना

कभी  जलता हुआ  दीपक  कोई  जब  देखोगे
ये है मेरा  यकीं   इक   बार   मुझे  सोचोगे
मुझे किरदार  पर   अपने   है  भरोसा  बहुत
अंधेरी    राह    में     मंजिल     हमी     से    खोजोगे  

Saturday, April 20, 2013

जन्म दिन मुबारक हो....

किसी ख़ास के जन्मदिवस पर उसके लिए मेरी कुछ दुआएं......





हो  मुबारक   मुबारक       मुबारक    तुम्हें

हो  मुबारक  तुम्हें आज कि शुभ घरी

तेरा खुशियों से  दामन  भरा  यूँ  रहे

इस  सुहानी  घडी  है  दुआ  ये  मेरी


गम  का  साया  तुझे छू सके ना कभी

तुझको खुशियां मिले हर कदम हर घडी

तेरे आँखों से  आँसू  न  निकले  कभी

इस  सुहानी  घडी  है  दुआ  ये  मेरी


ये खुदा उसकी आँखों  में  आँसू  न  दे

टूट  जाएगा  वो  एक  खता  से  तेरी

उसके हिस्से का  आसूं  तू  देना  मुझे

पर  न  देना  उसे  है  अरज  ये मेरी


साथ   तेरा  मुझे  जिंदगी  भर  मिले

है  यहीं  इक  दुआ  आज  तुमसे मेरी

गर जुदा तू  हुआ  तो  मै  ये  मानूंगा

रब ने लिखा न किस्मत में तुझको मेरी 

Monday, April 15, 2013

तेरे खातिर


















कभी   तनहाइयों   में   तेरी   बातें   सोच   हंस   देता
डसी तनहाइयाँ  हैं  जब  तो  तनहा  दिल  है  ये  रोता
मोहब्बत  के  सफर  में  थी  लिखी तनहाइयाँ ही जब
मोहब्बत   करना  तन्हाई  से  क्यूँ न  तू  सिखा  देता

तेरे  खातिर  ही  दुनिया  से  किया  मैंने  बगावत  था

किया तूने भी अब तनहा और दुनिया से तो पहले था
मेरे खोने के खातिर काफी  थी  तेरी  झील  सी  आँखें
हुई  क्यूँ  आज  वो  दरिया जो  कल मेरा समन्दर था

मै  सांसे  ले  नहीं  सकता  हूँ  तुमसे  दूर   रह   करके

काट पाऊ न इक भी क्षण  बगावत  तुमसे  मै  करके
ये  दुनिया  छोड़ने  का  फैसला  भी  ले  नहीं   सकता
कहीं तू ये न कह  दे  की  मरा  बदनाम  मुझे   करके 

Friday, April 12, 2013

नाम का सरदार मनमोहन




















न   तो   चीन   से   डरत्ता   हूँ   न   मै   पाक   से    डरता
जहाँ  की  कोई  ताकत  हो  किसी   से   मै   नही   डरता
मुझे डर  लगता  है  अब  दुनिया  में  बस  एक  इंसा  से
जो  है  सरदार  दिखता  पर   मुझे   सरदार   न   लगता

शहीदों   की   शहादत   की   ये   तो   कीमत   लगाते   हैं
अता  कीमत  बलि  की  कर   उन्हें   ये   भूल   जाते   हैं
लाल भेजोगे जिस दिन सरहद पर लड़ने को तुम अपना
समझ   में    आयेगा    तब   की   दर्द   कैसे   भुलाते   हैं

आजादी  देगा  वो   कैसे  जो   खुद   बंधक   बना   रहता
हाथ  होता  जो उसके कुछ तो खुद को आजाद वो करता
शक्ल  भोली  सी  लेकर  किया   है   काम   बस   इतना
नहीं  मरना  है  भारत  पर  सीखा  इटली  पर  है  मरना 

Wednesday, April 10, 2013

रुसवाई

















उम्र  रपता  तुम्हारे  बिन  अब  हम कैसे गुजारेंगे
भुलाना भी जो  चाहेंगे  तब  भी  ना  भूल पाएंगे
सजा  कैसी  दिया  तुमने  मुझे  मेरी वफाई का
रहें महफ़िल में या तनहा तुम्हें ही बस पुकारेंगे


सुमन  कोई  खिला  देखूं तो तुम ही याद आते हो
मेरी  यादों  में  आकर के बहुत हमको सताते हो
किया  रुसवा  जमाने ने हमे तुमसे तुम्हें हमसे
सही ना जाए रुसवाई  तुम्ही बस याद आते हो


चांदनी  रात  में  जब चाँद को हंसता हुआ देखूं
तुम्हारी याद आने से तो दिल को कैसे मै रोकूँ
समन्दर में उठी लहरें मुझे भरमा रहीं हैं अब
खडा मै हूँ किनारे पर मगर जल में तुझे देखूं 

Saturday, March 9, 2013

भोले भंडारी
















सुन  भोले  तूने  ये  क्या  किया
सबको  तू  भंगिया  पिला दिया
सब  नाचे  होकर  मस्त   मस्त
हो  रही  है  ये   कैसी   शिकस्त

खुद   पीने   के   खातिर   भोला
तैयार    किया    अपना   टोला
खुद   भंगिया  पीकर  नाच  रहे
और संग  में सबको नाचाय रहे

भंगिया  का  नशा  ऐसे    छाया
सब    नाचे   भूल   सभी   माया
भंगिया   पी   नाचत   भीड़ बड़ी
सब   नाचे   बोलत   बम  लहरी

सावन   की   काली   बदली   में
सब    नाचे    बाबा    नगरी   में
दीपक   जे. एन.  राजेश के संग
सब   नाच   रहे   हैं  पी  के  भंग


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