Wednesday, February 15, 2012

मजबूरी में बदल जाते हैं

पहले  हम  अपने  दिल  से  जब   बात   किया   करते  थे
बनना   है   मुझे   इंजिनियर   हर   बार   कहा   करते  थे


था   नहीं   किनारा   कोई   बस   चाह   लिए   फिरता   था
कैसे     बन    पाउँगा    मै   ये    सोच     सोच   डरता   था
जब  ऐसा  भय  आता  मन  में  तब  अडिग रहा करते थे
बनना   है   मुझे   इंजिनियर   हर   बार   कहा   करते  थे


मम्मी  पापा  से  इस  पर  जब   बात   किया   करता  था
परेशानी  का  गहरा  साया  उन  पर   झलका   करता  था
वो  कहते  कर   पाओगे   नहीं   पर   जिद्द किया करते थे
बनना   है   मुझे   इंजिनियर   हर   बार   कहा   करते  थे



भेज  दिया  बापू  ने  कह  ना  किसी  बात  की  कर चिंता
के आई टी से बनकर आना तू  सफल  मनोहर अभियंता
जब संग हुआ सब कुछ ऐसा तब खुश बहुत रहा करते थे
बनना   है   मुझे   इंजिनियर   हर   बार   कहा   करते  थे


अब   जब  बारी  मेरी   आई  तब  पढ़ने  से  हूँ  मै  भगता
कॉलेज  की  गोरी  कुड़ियों  में  ये  पगला  मन मेरा रमता
सारे   अवगुण  वो   पास   हुए   जो   दूर   रहा   करते   थे
बनना   है   मुझे   इंजिनियर   हर   बार   कहा   करते  थे

Thursday, February 9, 2012

वैलेंटाइन स्पेश्ल

क्या कहे उनकी वफा को आज हम
जिनकी नजरो मे रहा हम करते थे
आज क्यू उसने बना ली दूरिया
कल जो मेरे संग चला चल करते थे

क्यू वो भूले है बिताये पल कल के
याद उनको क्यू नही मेरी वफा
इस कदर अब जुल्म क्यू वो धा रहे
कल जो खुशिया संग समेटे चलते थे

मै मुहब्बत के सम्न्दर मे फसा
भूलना उसको कभी ना चाहू मै
भूल वो कैसे गयी मुझको जफर
कल तक जो हर पल निहारा करते थे