एक दिन के आई टी में मौसम कुछ अजीब सा ऐसा छाया,
एहसास हुआ सबको ऐसा जैसा समेस्टर हो आया |
शांत हुई चिल्लम-चिल्ली सब बुक की भाषा बोल रहे ,
हाथ में लेकर रफ कॉपी टीचर की केबिन दोल रहे |
दस दिन जब केवल शेष रहे तब टीचर की बोली मन भाया
एहसास हुआ ...................................................................................
कैंटीन में बैठ के गप्प लड़ाना अब किसी के मन को न भाये
क्या किया समेस्टर भर ये सोच के आँखों में आशु आये |
गर्लफ्रेंड के संग में समय बिताना अब तो मुझे राश नही आया
एहसास हुआ .......................................................................................
पहले तो होड़ लगी रहती थी lecture को बंक मारने में
अब तो दिन बीत रहे है फोटो कॉपी शॉप पे नोट्स तलाशने में |
नोट्स है कैसा पंछी ये समेस्टर आने पे समझ आया
एहसास हुआ ....................................................................
ऐ खुदा दुआ मेरी सुन ले समेस्टर को दूर भगा दे तू
पुरे कॉलेज के हिस्से का लड्डू मुझसे चढवा ले तू |
याद नही किया कभी ऐसे में तू ही याद आया
एहसास हुआ .........................................................
टीचर दे दे एक्साम मेरा मन मेरा हरदम सोचे यही
यह बात असम्भव थी इसलिए इसे कह दिया यूँही |
क्या होती है पढाई चंचल ये सर को देख समझ आया
एहसास हुआ .................................................... ...............