Thursday, August 8, 2013

आशिकी तो कभी कर न सकते हैं वो

वो  तो  कहते   हैं  हमको  दीवाना  मगर
खुद दीवानों सी हरकत को  करते  हैं  वो
मुझपे   मरने    का  इल्जाम  झूठा लगा
खुद से ज्यादा तो मुझ पर ही मरते हैं वो

मुख  से  कहते  हैं  हमको मोहब्बत नहीं
लाख   अरमान  फिर  भी  सजाएँ  हैं  वो
है  वजह  क्या  समझ  में  ना  आती हमें
दिल की बातें जो दिल  में  छुपायें  हैं  वो

वो  बयां  क्यूँ  मोहब्बत  को  करते  नहीं
शर्म  किस  बात  की  आज  खाते  हैं  वो
डर   उन्हें   है   जमाने   का   जकडे   हुए
बस   यहीं   एक   उलझन   बताते  हैं वो

आशिकों   को   ज़माना    बकसता  नही
इसलिए   तो   जमाने    से   डरते  हैं  वो
डर ज़माने का है  जिनके  दिल में दीपक
आशिकी  तो  कभी  कर न  सकते  हैं  वो  

Thursday, August 1, 2013

चूर कर दिए सारे सपने
















मेरी किस्मत में मोहब्बत को ना लिखा रब ने
मेरी    उम्मीद   को  तो  तोड़  डाले   हैं   अपने 
जिनके इक हाँ पे मै  ऊचाईयां  छूने  था  चला
उसी   के  न  ने  चूर  कर   दिए   सारे    सपने 

उन्हें  भाता  था   खेलना   मेरा   जज्बातों  से 
फरक   पड़ता  नहीं  उनको  मेरी  हालातों  से 
हंसी चेहरे  पे   ले   के  दिन  तो काट   देता हूँ 
दर्दे दिल   को बयां करता हूँ  सिर्फ   रातों   से 

मेरी   आँखों   में   आंसू  ही  है  गर ख़ुशी तेरी
खुदा तुझसे है फिर  इक  आज  इबादत  मेरी
मेरी  आँखों   से    अश्रुपात    निरंतर   रखना
उसका   हसता   हुआ   चेहरा  ही है ख़ुशी मेरी.