Monday, May 7, 2012

मेरी तन्हाई और तेरी याद

मेरी  तन्हाई  से तेरी याद का है क्या लेना
हुआ जब भी मै तनहा तो ये चली जाती है

जिंदगी के सफ़र में जब भी अकेले निकला
साथ  देने  क्यूँ  चुपके  से  ये  चली आती है

मेरी  यादें  तेरी  तन्हाई  भी  मिटाती  क्या
जिस तरह तेरी  याद  मेरी  मिटा  जाती  है

मेरी  यादें   गर   काट  दे   तेरी  तन्हाई  को
तो  दिल  के  मुल्क में ये प्रीत कही जाती है

हुई  वर्षा  बहुत  इस   जलते हुए दीपक पर
बुझी  फिर  भी  नहीं  जो  तेरी  प्रेम बाती है

एक  दूजे  की  याद  है  अपने  सच्चे  साथी
जिन्दगी में  जो कदम से कदम मिलाती है  

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