Monday, October 22, 2012

जय माता दी




















मईया  की  महिमा  को  हम  कैसे तुम्हे  सुनाये
सुख  सारा  वो  है  पाता  जो  दर  पे सर झुकाए 

चन्दा  सा  माँ  का  मुखडा मन के सभी को भाये 
लाली  चुनरिया  ओढकर  भक्तों को माँ लुभाए 
आँखों में लालिमा  भर  तलवार  लेकर  कर  में 
करके  सवारी  सिंह  की  दुष्टों  को   माँ   डराए 

कण  कण  में  माँ  बसी है माँ ही सुमन खिलाए 
अपना  सहारा  देकर   गिरतों   को   माँ   उठाये 
ये  आत्मा  भी  माँ   है   परमात्मा   भी   माँ   है 
सच नजर  से  देखो  तो  माँ  ही  नजर  है  आये

हमको  भी  पार  कर  दो  दर  पे  है  सर  झुकाए 
मझधार   मे   फंसा   हूँ   और   नाव   डगमगाए 
अब हम पर रहम कर दो हमको भी पार कर दो 
ममता  भरी   नजर    से   कोई  ना   छूट   पाए

मईया  की  महिमा  को  हम  कैसे तुम्हे  सुनाये
सुख सारा  वो है  पाता  जो  दर  पे  सर  झुकाए