Friday, April 12, 2013

नाम का सरदार मनमोहन




















न   तो   चीन   से   डरत्ता   हूँ   न   मै   पाक   से    डरता
जहाँ  की  कोई  ताकत  हो  किसी   से   मै   नही   डरता
मुझे डर  लगता  है  अब  दुनिया  में  बस  एक  इंसा  से
जो  है  सरदार  दिखता  पर   मुझे   सरदार   न   लगता

शहीदों   की   शहादत   की   ये   तो   कीमत   लगाते   हैं
अता  कीमत  बलि  की  कर   उन्हें   ये   भूल   जाते   हैं
लाल भेजोगे जिस दिन सरहद पर लड़ने को तुम अपना
समझ   में    आयेगा    तब   की   दर्द   कैसे   भुलाते   हैं

आजादी  देगा  वो   कैसे  जो   खुद   बंधक   बना   रहता
हाथ  होता  जो उसके कुछ तो खुद को आजाद वो करता
शक्ल  भोली  सी  लेकर  किया   है   काम   बस   इतना
नहीं  मरना  है  भारत  पर  सीखा  इटली  पर  है  मरना 

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