Wednesday, September 12, 2012

उसकी सूरत पर


     जिसके लिए लिखा है काश उसके पास तक पहुच जाए | वैसे ब्लॉग पर बहुत दिन बाद आ रहा हूँ आता तो नहीं लेकिन किसी की खूबसूरती का बखान करने से खुद को रोक नहीं पाया इसलिए आ गया हूँ और हाँ अगर वो नजर के सामने से गुजरती रहेगी तो आता रहूँगा | 




              
















तुम तो हो रूप की मलिका तुम्हे अब नाम मै क्या दूँ
ज़माना  जद  में  हैं  तेरे  तुम्हे  आराम  मै   क्या   दूँ  
लव से तेरे लिए अब तो मै कुछ भी कह नहीं  सकता  
तुम्हारे  चाँद  से  तन को  मै  उपमा  और   कैसी  दूँ

खुदा ने जिस घडी तेरे तन की  नक्कासी  करी होगी  
घड़ी  वो  इस  जहाँ  खातिर  बड़ी  ही  शुभ रही  होगी 
खुदा खुद खुश हुआ होगा  जहाँ  में तुझको ला करके  
सुंदरता  से  तेरे  उसको  जलन  अब  हो  रही   होगी

नजर  जब  से पडी  तुझ  पर हुआ है हाल  कुछ ऐसा  
नजर  जब  भी  जिधर  डालूँ  दिखे कोई तेरे ही जैसा
मेरी  तुम  इस  शरारत  को  शरारत  नाम  ना   देना
मचल   कोई    भी   जायेगा  तुम्हारा   रूप   है  ऐसा

2 comments:

  1. मेरी तुम इस शरारत को शरारत नाम ना देना
    मचल कोई भी जायेगा तुम्हारा रूप है ऐसा

    bahut khub

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  2. नजर जब से पडी तुझ पर हुआ है हाल कुछ ऐसा

    ये शब्द मन भिगोने में कामयाब हैं ...आप अच्छा लिखते है दीपक जी

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