Saturday, April 27, 2013

सीनियर्स आपके लिए ....

हंसी  पल   थे  वो  तेरे  संग  जो  गुजारे  हैं
बचे  पल  को  भी  यूँ  ही  हंस के ही गुजारेंगे
होगे   तुम  दूर  मगर  याद  तो  रह  जायेगी
तेरे   यादों   के   सहारे   ही   दिन  गुजारेंगे

तेरी  जब   प्यार   भरी   बोली  याद  आयेगी
दिल को  इक  मीठा  सा  वो दर्द देकर जायेगी
दिया तुमने है जो खुशियों  का खजाना अब तक
ख़ुशी  वो  दर्द  को  इस  फीका करती जायेगी

ये    है   दस्तूर खुदा का जमाने   के   लिए
जहाँ में जो  भी  आयेगा  वो  इक दिन जाएगा
बिछड़ रहे हैं गम  इस  बात  का ज़रा भी नहीं
बिछड़ के तुमसे कैसे  दिन  ये  जिया  जाएगा

कभी एहसास  हो  मेरी   कोई   जरूरत   तो
मान हक हम पर  तुम  आवाज मुझे दे   देना
ये है दावा  तेरी  आवाज   पर   मै   आऊंगा
यकीं न हो तो कभी  तू  भी   आजमा   लेना

कभी  जलता हुआ  दीपक  कोई  जब  देखोगे
ये है मेरा  यकीं   इक   बार   मुझे  सोचोगे
मुझे किरदार  पर   अपने   है  भरोसा  बहुत
अंधेरी    राह    में     मंजिल     हमी     से    खोजोगे  

3 comments:

  1. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  2. बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आपने दीपक भाई सभी सिनिअर्स के लिए..... ...मुझे तो बहुत पसंद आई

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