स्वार्थ बस पूजी सबहीं की दिल में इच्छा एक मेहरी की
काम कइके हमें खूब खियावे साँझ सबेरे मूड दबावे
हमई छोड़ कतुहूँ और न धावे, पाई हम ऐसन मेहरी की
स्वार्थ बस पूजी..............................
सुंदर सुंदर चेहरा हो जेकर पूजा करी हर दिन हम तेकर
तन पे सोहै जमक के जेवर साथ मिली अइसेन मेहरी की
स्वार्थ बस पूजी..............................
एक से मन भरे दुसर पाई दिन भर में दस दस पिछुवाई
होत सवेर फिर जय भुलाई बन रहे मन स्वर्ग धरा की
स्वार्थ बस पूजी..............................
तोहर पूजा तो हम न जानी दिलवा करई हमरा मनमानी
चाहीला लड़की एक शयानी चंचल के दिल जान प्रिया की
स्वार्थ बस पूजी..............................
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