( यह मेरे अपने व्यक्तिगत विचार है किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए अगर है तो उनसे क्षमा प्रार्थी हूँ )
२६/११ के हमले के दोषी अजमल कसाब को आज लगभग ४ साल बाद एकाएक फांसी की सजा सुनकर मन को तो बहुत सुकून मिला | फांसी दी गयी इस बात से पूरे हिन्दुस्तान नहीं अपितु पूरे विश्व के लोग खुश हुए होंगे | पता नहीं क्यूँ हमे ऐसा लग रहा है कि इसके पीछे भी कोई राज छिपा हो सकता है | बिना किसी पूर्व जानकारी के एकाएक ऐसा होना मेरे शक का कारण है |
अभी कुछ दिन पहले ही हमारी मीडिया की ही खबर थी की जो काम हिन्दुस्तान की सरकार पिछले तीन चार सालों में नहीं कर पायी है उसे हिन्दुस्तानी मच्छरों ने कर दिखाया है | इस काम के लिए मच्छरों का शुक्रिया अदा करता हूँ | वह काम यह था कि हिन्दुस्तान की सरकार आज तक अजमल कसाब की केवल मेहमान नवाजी की थी लेकिन मच्छरों ने जब उसकी मेहमान नवाजी की तो उस सुअर को डेंगू हो गया और मरने की कगार पर पहुँच गया था | अभी तो हम इस बात का इन्तजार कर रहे थी कि हमारी बिकाऊ मीडिया अभी हमे बताएगी की कितना उसके इलाज में खर्च हुआ लेकिन उससे पहले उसकी मौत की खबर आ गयी | ऐसे में हमारे दिल में बहुत से सवाल उठे हैं | उन सवालों से अवगत कराता हूँ ......
कहीं सरकार ने यह तो नहीं किया कि उसकी मौत हुई हो डेंगू से और इसके बाद उसको फांसी की सजा दिखा रही हो | अगर ऐसा नहीं है तो सरकार के फैसले में पारदर्शिता क्यूँ नहीं थी ? अभी सुबह कुछ लोगों से बात चीत के दौरान यह पता चला कि कसाब को डेंगू हुआ है यह खबर मीडिया के द्वारा फैलाई हुई अफवाह है | मुझे तो पता नहीं क्यूँ ऐसा लगता है जब भी कहीं सरकार फंस जाती है तो वह उस खबर को मीडिया की अफवाह बताने के सिवाय कोई और चारा ही नहीं रहता है |
दूसरी बात सरकार किन गद्दारो से डरकर चुपचाप कसाब को फांसी दे दी, अगर कसाब को चौराहे पर खडा करके मारा जाता तो यह आतंकवादियो के लिये सबक का काम करता. पहले उनको खिला पिला कर मोटा मुरगा बनाओ फिर चुपचाप फांसी देना समझ मे नही आया.
तीसरी बात भारत की जनता और 26 नवम्बर 2008 के शहीदो के परिवार कैसे इस बात पर विश्वास करे कि कसाब को वाकई फांसी हुयी है कही ऐसा न हो कि ........ जैसे सद्दाम हुसैन के विडियो अमेरिका ने सार्वजनिक करके पूरे विश्व को सन्देश दिया था कि अमेरिका से टकराने का अंजाम क्या होता है भारत सरकार ने वैसा क्यो नही किया??
दूसरी बात सरकार किन गद्दारो से डरकर चुपचाप कसाब को फांसी दे दी, अगर कसाब को चौराहे पर खडा करके मारा जाता तो यह आतंकवादियो के लिये सबक का काम करता. पहले उनको खिला पिला कर मोटा मुरगा बनाओ फिर चुपचाप फांसी देना समझ मे नही आया.
तीसरी बात भारत की जनता और 26 नवम्बर 2008 के शहीदो के परिवार कैसे इस बात पर विश्वास करे कि कसाब को वाकई फांसी हुयी है कही ऐसा न हो कि ........ जैसे सद्दाम हुसैन के विडियो अमेरिका ने सार्वजनिक करके पूरे विश्व को सन्देश दिया था कि अमेरिका से टकराने का अंजाम क्या होता है भारत सरकार ने वैसा क्यो नही किया??
दोस्त बात कुछ भी हो लेकिन कोई राज जरूर है इस एकायक फांसी के पीछे |जैसे सारी करतूतें एक एक कर खुली है वैसे यह भी वक्त आने पर खुलेगी |
मरा मच्छरी मौत मकु, रहस्य रहा गहराय ।
ReplyDeleteइत खारिज हो याचिका, उत जाता दफ़नाय।
मकु=कदाचित
उत जाता दफ़नाय, एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर ।
सड़ा बदन इस कदर, तड़पता तोबा कर कर ।
डेंगू लेता लील, खबर पर बनी दफ्तरी ।
फाँसी होती आज, मरा नहिं मौत मच्छरी ।।
आधी गफलत आधा पुष्ट ।
कैसी दुविधा मरता दुष्ट ।।
मौजी दुनिया पूछे राज
करिए जाहिर हो संतुष्ट ।।
लुका छिपा फांसी लगा, लें क्रेडिट मुंहजोर |
वोट बैंक की पॉलिटिक्स, देखें कई करोर |
देखें कई करोर, मलाला खाय गोलियां |
माने नहिं फरमान, मारती दुष्ट टोलियाँ |
हमलावर यह सिद्ध, कराती सत्ता हांसी |
राष्ट्र-शत्रु यह घोर, छुपा कर क्यूँ हो फांसी ||