तेरी ममता के मंदिर का पुजारी मै बना हूँ माँ
दृष्टि ममतामयी अपनी बनाये सर्वदा रखना
कभी जो भूल हो मुझसे कोई जाने अनजाने में
तो ऐसे बिषम क्षण में जुबाँ पर वास माँ करना
सोते को जगा दे जो छंद में ऐसी शक्ति दो
दुखों से भागते हैं जो उन्हें लादने की शक्ति दो
साया अज्ञान को जो छाया है चरों तरफ जग में
फैलाकर ज्ञान की रश्मि मुक्ति अज्ञानता से दो
कदम जब एक चलते हैं बदलती है यहाँ बानी
तीन पग और जब जोड़ो बदल देता है रूख पानी
विविधताये बहुत सी हैं मेरे भारत के दामन में
विविधता में अविविधता को बनाये रखना माँ धानी
करे सम्मान सब सबका घृणा की भावना न हो
बने सब स्वाभिमानी भाव न ये कम नहीं करना
कभी जो हो जरुरत देश पर बलिदान होने की
बलि लाखों चढाने जाये ऐसे वीर माँ देना
nice one dear,,,,,,,,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रार्थना .....
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