अपने में रमा ले मौला मुझे
अपने में रमा ले मौला
दुनिया ने मुझे है ठुकराया
अब तू अपना ले मौला
मै माया जालों से निकलूँ
मै विश्व चमन में जा चमकूँ
दुनिया के लिए कुछ बन जाऊ
ऐसा वरदान दे मौला
समभावी बनूँ मै सब के लिए
सबकी मुझ पर सम दृष्टि रहे
मेरी इस बिषम कुदृष्टि में
समधारा भर दे मौला
अनजाने में भी ना खता करूँ
न ही मुझ पर कोई करे खता
नज़रों में हरदम प्यार रहे
ऐसा उपकार करो मौला
अपने में रमा ले मौला
दुनिया ने मुझे है ठुकराया
अब तू अपना ले मौला
मै माया जालों से निकलूँ
मै विश्व चमन में जा चमकूँ
दुनिया के लिए कुछ बन जाऊ
ऐसा वरदान दे मौला
समभावी बनूँ मै सब के लिए
सबकी मुझ पर सम दृष्टि रहे
मेरी इस बिषम कुदृष्टि में
समधारा भर दे मौला
अनजाने में भी ना खता करूँ
न ही मुझ पर कोई करे खता
नज़रों में हरदम प्यार रहे
ऐसा उपकार करो मौला
अच्छा है समदर्शी बनना . मौला जरुर सुनता है दिल से पुकारने वालों की . सुँदर .
ReplyDeleteवाह भई दीपाक बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुयोग्य गुरु को समर्पित कविता उत्तम है।
ReplyDeleteआपके शिष्य आपकी तरह सरल शदों में लिखते हैं. बहुत उम्दा.
ReplyDeleteपुराने समय में एक अच्छा गुरु मिलना सौभाग्य माना जाता था. परन्तु आज के समय में एक अच्छा और समर्पित शिष्य मिलना सौभाग्य है. सो पवन जी आप भाग्यशाली हैं :)
ReplyDeletecongrets deepak having such GURU. he is my GURU also
ReplyDeleteMAST LIKHA HA DEEPAK TUMANE.....
ReplyDeleteको समर्पित कविता उत्तम है।
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