जिसकी साया में पले बढे उसका सम्मान न कम करना
दुःख लाख सहे जिसने तेरे बिन उसकी ऑंखें न नम करना
खुद भूखे पेट रहकर जिसने तुझको भर पेट सुलाया है
ममता के ऐसे मंदिर में गम का अंधियारा न करना
जब कदम लड़खड़ाते तेरे तब माता दौडी आती है
गोदी में उठा करके तुझको वो लाड प्यार दिखलाती है
जीवन के हर दुःख के पल में माता है सहारा बन जाती
बेटे के मुह से आह सुनकर माता दौडी चली आती है
कोई कष्ट लाख दे माता को फिर भी वो हसती रहती है
अपनी ममतामयी नज़रों से ममता बरसाया करती है
माँ की महिमा की गाथा को मै शब्द नहीं दे सकता हूँ
माँ के आँचल के आगे स्वर्ग धरा भी फीकी पड़ती है
दुःख लाख सहे जिसने तेरे बिन उसकी ऑंखें न नम करना
खुद भूखे पेट रहकर जिसने तुझको भर पेट सुलाया है
ममता के ऐसे मंदिर में गम का अंधियारा न करना
जब कदम लड़खड़ाते तेरे तब माता दौडी आती है
गोदी में उठा करके तुझको वो लाड प्यार दिखलाती है
जीवन के हर दुःख के पल में माता है सहारा बन जाती
बेटे के मुह से आह सुनकर माता दौडी चली आती है
कोई कष्ट लाख दे माता को फिर भी वो हसती रहती है
अपनी ममतामयी नज़रों से ममता बरसाया करती है
माँ की महिमा की गाथा को मै शब्द नहीं दे सकता हूँ
माँ के आँचल के आगे स्वर्ग धरा भी फीकी पड़ती है
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
ReplyDeleteसार्थक रचना...
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