मेरी आसूं की कीमत को अगर पहचान जाती तुम
कभी मुझको रुलाने की फिर तुम जुर्रत नहीं करती
जिन मासूम सी आँखों में हरदम प्यार रहता है
तो उसमे आसुओं को लाने की हरकत नहीं करती
मेरी खामोशियों को तुम अगर पहचान जाती तो
तो दिल में घाव करने में कभी मरहम नहीं बनती
मैंने छोड़ी खुशी कितनी तेरे मुस्कान के खातिर
समझ जाती तो कोरे दामन को मैला नही करती
अपने वादे और कसमे अगर तुम भूल जाती हो
तो झूठे कसमे वादों की कभी बरसात ना करना
अगर कुछ हो सके तुमसे तो मेरा काम ये करना
कभी अपने लबों से तुम मुझे न बेवफा कहना
कभी मुझको रुलाने की फिर तुम जुर्रत नहीं करती
जिन मासूम सी आँखों में हरदम प्यार रहता है
तो उसमे आसुओं को लाने की हरकत नहीं करती
मेरी खामोशियों को तुम अगर पहचान जाती तो
तो दिल में घाव करने में कभी मरहम नहीं बनती
मैंने छोड़ी खुशी कितनी तेरे मुस्कान के खातिर
समझ जाती तो कोरे दामन को मैला नही करती
अपने वादे और कसमे अगर तुम भूल जाती हो
तो झूठे कसमे वादों की कभी बरसात ना करना
अगर कुछ हो सके तुमसे तो मेरा काम ये करना
कभी अपने लबों से तुम मुझे न बेवफा कहना
MAST LIKHA HA YAR DEEPAK TUMANE.
ReplyDeleteमुकेश भाई आपको बहुत बहुत धन्यवाद........
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