मै ये कविता अपने किसी खास के जन्मदिन पर उसे समर्पित करता हूँ
तुम्हे मेरी मोहब्बत का अगर एहसास हो जाता
खुदा को शुक्रिया कहता तुम्हे भी प्यार हो जाता
तेरे नाजुक लबों पर हस के मेरा नाम आ जाये
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
तेरी चंचल अदाओं का दीवाना है तेरा राही
हमारे इस दीवानेपन का तुम्हे एहसास हो जाता
मेरी चंचल अदा से भी तेरा दीदार हो जाये
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
तरन्नुम हमने जो दिल में बसाए है तेरे खातिर
हमारे इस तरन्नुम का तुम्हे एहसास हो जाता
हमारे ये तरन्नुम लब तेरे गर छेड़ जाये तो
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
तुम्हे मेरी मोहब्बत का अगर एहसास हो जाता
खुदा को शुक्रिया कहता तुम्हे भी प्यार हो जाता
तेरे नाजुक लबों पर हस के मेरा नाम आ जाये
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
तेरी चंचल अदाओं का दीवाना है तेरा राही
हमारे इस दीवानेपन का तुम्हे एहसास हो जाता
मेरी चंचल अदा से भी तेरा दीदार हो जाये
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
तरन्नुम हमने जो दिल में बसाए है तेरे खातिर
हमारे इस तरन्नुम का तुम्हे एहसास हो जाता
हमारे ये तरन्नुम लब तेरे गर छेड़ जाये तो
तुम्हे भी है मोहब्बत मुझसे तब एहसास हो जाता
एहसास हो गया जी
ReplyDeletekya bat hai ....
ReplyDeletehttp://jadibutishop.blogspot.com