दोस्ती के नाम पर अभिमान करना सीख लो
दोस्ती लेती है जान जान देना सीख लो
आसान होता निभाना तो करोड़ों में दोस्त होते
रिश्ता बड़ा अनमोल है दिल से निभाना सीख लो
बस साथ चाहता हूँ तेरा
मै और नहीं कुछ चाहूँगा
साँस रहे जब तक तन में
तेरे संग ही रहना चाहूंगा
यादें हैं तुझसे जुडी लाख
बीते हैं कई दिन तेरे साथ
फरमाइश है बस एक तुमसे
तू चलना मेरा पकड़ हाथ
आपस में लड़ाई कर करके
चलते थे राह बदल करके
जैसे ही कुछ दिन बीत गये
तब मिलते गले हम हंस करके
जब मूड में मस्ती के होते
हर लड़की को भाभी कहते
कहते वो देख गजब की है
पीछा करने से ना थकते
शर्त लगाना आपस में
किसी लड़की से करने की बात
इक बड़ी हिदायत देते थे
ना आना खा करके तुम लात
दीपक कुमार मिश्र "प्रियांश"
दोस्ती लेती है जान जान देना सीख लो
आसान होता निभाना तो करोड़ों में दोस्त होते
रिश्ता बड़ा अनमोल है दिल से निभाना सीख लो
बस साथ चाहता हूँ तेरा
मै और नहीं कुछ चाहूँगा
साँस रहे जब तक तन में
तेरे संग ही रहना चाहूंगा
यादें हैं तुझसे जुडी लाख
बीते हैं कई दिन तेरे साथ
फरमाइश है बस एक तुमसे
तू चलना मेरा पकड़ हाथ
आपस में लड़ाई कर करके
चलते थे राह बदल करके
जैसे ही कुछ दिन बीत गये
तब मिलते गले हम हंस करके
जब मूड में मस्ती के होते
हर लड़की को भाभी कहते
कहते वो देख गजब की है
पीछा करने से ना थकते
शर्त लगाना आपस में
किसी लड़की से करने की बात
इक बड़ी हिदायत देते थे
ना आना खा करके तुम लात
दीपक कुमार मिश्र "प्रियांश"
यूँ ही खुश रहो, मस्त रहो..
ReplyDeleteइस सुन्दरतम रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
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